Munshi Premchand
प्रस्तुत उपन्यास ’गोदान’ में भारत के ग्रामीण समाज तथा उसकी सामाजिक आर्थिक चेतना को चित्रित किया गया है. प्रस्तुत उपन्यास में ब्रिटिश समय में गरीब ग्रामीणों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है. इस कथानक में होरी और धनिया सामाजिक वर्ग संघर्ष के अमर प्रतीक है.